MONKEYPOX IN INDIA SYMPTOMS AND TREATMENT
आखिर मंकी पॉक्स वायरस क्यों है इतना खतरनाक? आइए जानें इलाज व बचाव
मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) ने फिर से दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा है। साल 2024 में इसके मामलों में भारत के अलग-अलग जगहों पर उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह ब्लॉग एमपॉक्स के मौजूदा प्रकोप के बारे में विस्तार से बताता है, जिसमें “Monkey pox(MPOX) in India” के मामलों, आंकड़ों, लक्षणों, उपचार और निवारक उपायों के बारे में बताया गया है, ताकि आप सूचित और सुरक्षित रह सकें।
बीत रहे साल 2024 में मंकी पॉक्स वायरस के गंभीरता से भरे फैलाव को देखते हुए डब्लूएचओ ने आपात काल भी लगाया। इस साल ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में इस वायरस का संक्रमण तेजी से फैला है। मध्य और पूर्वी अफ्रीका से शुरू हुआ यह संक्रमण पाकिस्तान में प्रवेश करते हुए देश के विभिन्न राज्यों में फैलता चला गया। सर्वे के मुताबिक पाकिस्तान में इस वायरस के तीन मामले पाए गए। साथ ही भारत में एमपॉक्स का एक अलग मामला सामने आया। यह मामला एक अलग मामला इसलिए भी था, क्योंकि यह जुलाई 2022 में भारत में दर्ज किए गए 30 मामलों के समान है। ये सारे वायरस एमपॉक्स क्लेड-वन से संबंधित मामले थे। इस साल एमपॉक्स का नया स्ट्रेन भी देखने को मिला। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वायरस को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी भी घोषित किया। वायरस के इस नए स्ट्रेन को ग्रेड-3 इमरजेंसी के रूप में बांट दिया गया। इसका सीधा अर्थ था, नए स्ट्रेन पर तत्काल ध्यान दिया जाए।
विषय सूचि
- -क्या मंकीपॉक्स जानलेवा है?
- -मंकीपॉक्स का सबसे ज्यादा खतरा किसे?
- -मंकीपॉक्स के लक्षण
- -मंकीपॉक्स से बचाव
- -वायरस उपचार
- -हेल्थ प्रोटोकॉल के पालन से रोकथाम संभव
- -1970 में मंकी पॉक्स का पहला मामला आया सामने
- -देश में एमपॉक्स का खतरा कितना?
- -मंकी वायरस के तीन स्ट्रेन
- -मंकीपॉक्स वैक्सीन
- - समस्या से संबंधित जुड़े सवाल
क्या मंकीपॉक्स जानलेवा है?
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक रोग है। मतलब यह जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। यह इंसान से इंसान में भी फैल सकता है। यह चेहरे और शरीर के बाहरी हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। इससे संक्रमित लोग मवाद से भरे घाव का सामना कर सकते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस रोग की शुरुआत में पहचान कर लेने पर इलाज संभव है, लेकिन लापरवाही सचमुच जानलेवा हो सकती है। सार्स, मर्स, H1N1 स्वाइन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, कोविड और अब मंकीपॉक्स वायरस का फैलाव। ये कुछ ऐसी बीमारियां हैं, जो 15-20 सालों में दुनियाभर में फैलीं हैं। इन सभी का एक ही सोर्स था, जानवर। WHO का दावा है कि पिछले तीन दशकों में इंसानों में 30 तरह की नई बीमारियां आईं और इनमें से 75% जानवरों की वजह से ही फैली हैं। तो क्या हमें जानवरों से दूर रहना चाहिए? इसलिए चिकित्सकों का ऐसा मानना है कि शुरूआती लक्षण में अगर मंकी पॉक्स की परेशानियों को भांप लिया जाए तो इसका इलाज आसानी से संभव है। ज्यादा परेशानी होने पर मरीज को इस संक्रमण से रोकथाम देना चिकित्सकों के लिए भी थोड़ा मुश्किल हो जाता है।
मंकीपॉक्स का सबसे ज्यादा खतरा किसे?
WHO के अनुसार मंकीपॉक्स के मरीज के संपर्क में आने वाले लोगों को संक्रमण का खतरा होता है। निकट संपर्क का मतलब है त्वचा से त्वचा का संपर्क (जैसे छूना, या यौन संबंध) और मुंह से मुंह, या मुंह से त्वचा का संपर्क (जैसे चुंबन)। इसमें मंकीपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति के आमने-सामने होना (जैसे बात करना या एक-दूसरे के करीब सांस लेना, जिससे संक्रामक श्वसन कण उत्पन्न हो सकते हैं) ऐसी रोजमर्रा की एक्टीविटीज भी शामिल है। मंकीपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति द्वारा छुए गए कपड़े, बिस्तर, वस्तुओं, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य सतहों के संपर्क में आने वाले लोगों को भी मंकी पॉक्स का खतरा बना रहता है।
मंकीपॉक्स के लक्षण
- 1.बुखार
- 2.सिरदर्द
- 3.मांसपेशियों में दर्द
- 4.थकान
- 5.चेहरे और शरीर पर चकत्ते या फफोले
- 6.गले में खराश
- 7.लिम्फ नोड्स (गुलद्वारों) का सूजन
मंकीपॉक्स से बचाव
- -संक्रमित जानवरों या व्यक्तियों के संपर्क से बचें
- -WHO द्वारा जारी गाइडलाइन्स का पालन करें
- -बार-बार हाथ धोने की अच्छी आदत डालें
- -दो गज की दूरी और मास्क पहन कर रखें
- -आसपास सफाई और स्वच्छता बनाए रखें
- -लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
- -बचाव के लिए सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें
- -मंकीपॉक्स से पीड़ित हैं तो चेचक वैक्सीन लगवाएं
वायरस उपचार
मौजूदा समय में मंकीपॉक्स के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। उपचार मुख्य रूप से लक्षणों को प्रबंधित करने और जटिलताओं को रोकने पर केंद्रित होता है। मंकीपॉक्स का संबंध 'ऑर्थोपॉक्स' वायरस परिवार से है ,जो चेचक की तरह दिखाई देते हैं। ऐसे में मंकीपॉक्स होने पर चेचक का टीका लगाया जा सकता है। यह मंकीपॉक्स के खिलाफ निसंदेह ही कारगार साबित हो सकता है।
हेल्थ प्रोटोकॉल के पालन से रोकथाम संभव
मंकीपॉक्स की रोकथाम के लिए कई कदम उठाए जाने की जरूरत है। इसमें कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, संक्रमित लोगों को अलग-थलग करना और लोगों को जागरूक करना शामिल है। निरंतर निगरानी और टीकाकरण भी इसके प्रसार को रोकने में मदद कर सकते हैं। समय पर इलाज और नियमित निगरानी से बड़ी महामारी के ख़तरे को कम किया जा सकता है। इसके प्रसार को रोकने के लिए हेल्थ प्रोटोकॉल का पालन करना ज़रूरी है, जिसमें आइसोलेशन, स्वच्छता और समय पर इलाज शामिल हैं। इसके अलावा लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए।
1970 में मंकी पॉक्स का पहला मामला आया सामने
मंकी पॉक्स का पहला मामला डीआर कॉन्गो में साल 1970 में सबसे पहले रिकार्ड में आया। साल 2022 में मंकी पॉक्स यूरोप, आस्ट्रेलिया, अमेरिका और पश्चिमी अफ्रीका के कई देशों में फैला।
देश में एमपॉक्स का खतरा कितना?
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकी पॉक्स का संदिग्ध मामला मिलने को लेकर कहा, 'इसको लेकर 'अतिरिक्त चिंता' की कोई जरूरत नहीं है। यह मामला नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) के नेतृत्व में देखी जा रही है। देश ऐसे मामलों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है और किसी भी संभावित जोखिम को मैनेज करने और कम करने के लिए मजबूत प्रबंध किए गए हैं। बीते महीनों में मंकी पॉक्स वायरस नियंत्रण के लिए एयरपोर्ट, बंदरगाहों और लैंड क्रॉसिंग पर हेल्थ यूनिट्स को अलर्ट पर रखा गया। लेब्रोरेट्रीज और आइसोलेशन फैक्ट्रीज को भी तैयार कर रख दिया गया है, ताकि देश इस फैले वायरस से आसानी से जूझ सकने में समर्थ हो पाए।
मंकी वायरस के तीन स्ट्रेन
वायरस के तीन स्ट्रेन मुख्य तौर पर बीते साल में फैले।
क्लेड-1 मध्य अफ्रीका में एंडेमिक है, वहीं दूसरी ओर इस वर्ष फैले इस मंकी पॉक्स का क्लेड-IB नया और अधिक संक्रामक है।
क्लेड-IB का प्रकोप सबसे अधिक मध्य अफ्रीका में है। ये घातक है और इस स्ट्रेन से बीमार 10 फीसदी लोगों की मौत हुई है।
वहीं अगर क्लेड-2 की बात करें तो यह कम हानिकारक है, हालांकि यह कई देशों में फैला हुआ है। इस स्ट्रेन से पीड़ित व्यक्ति 99.9 प्रतिशत मामलों में बच जाता है।
मंकीपॉक्स वैक्सीन
स्वास्थ्य केंद्र मंत्रालय द्वारा मंकीपॉक्स की रोकथाम के लिए दो मुख्य टीकों को मंजूरी दी गई है।
- MVA-BN: बवेरिया नॉर्डिक द्वारा निर्मित
- LC16: KM बायोलॉजिक्स द्वारा निर्मित
यदि अन्य उपलब्ध न हों तो ACAM2000 वैक्सीन पर विचार किया जा सकता है। डॉक्टरों के परामर्श अनुसार उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों, जैसे कि कई यौन साथी वाले, स्वास्थ्य सेवा कर्मी और प्रयोगशाला कर्मियों के लिए टीकाकरण द्वारा ही मंकी पॉक्स से जूझ रहे व्यक्तियों को राहत दी जा सकती है। वैक्सीन के अलावा भी कई अन्य घरेलू उपाय के जरिए भी इस वायरस को अपने शरीर के अंदर पनपने से रोका जा सकता है।
समस्या से संबंधित जुड़े सवाल
1. क्या मंकीपॉक्स केवल बंदरों से फैलता है?
नहीं, मंकीपॉक्स नाम होने के बावजूद, यह विभिन्न पशुओं से फैल सकता है। इनमें गिलहरी, चूहे, और अन्य छोटे स्तनधारी जानवर शामिल हैं। बंदर भी वायरस के वाहक हो सकते हैं, लेकिन वे एकमात्र स्रोत नहीं हैं।
2. मंकीपॉक्स का इतिहास क्या है?
मंकीपॉक्स वायरस की पहली पहचान 1958 में लैब के अंदर रखे गए बंदरों में हुई थी, इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स पड़ा। मानव में इसका पहला मामला 1970 में लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो में दर्ज किया गया था। तब से, यह मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में स्थानिक रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में कुछ अन्य देशों में भी इसके मामले सामने आए हैं।
3.मंकीपॉक्स और स्मॉलपॉक्स में क्या अंतर है?
मंकीपॉक्स आमतौर पर स्मॉलपॉक्स की तुलना में कम गंभीर होता है। इसके अलावा मंकीपॉक्स की मृत्यु दर स्मॉलपॉक्स से कम है। मंकीपॉक्स में लिम्फ नोड्स की सूजन आम है, जबकि स्मॉलपॉक्स में नहीं।
4.मंकीपॉक्स के लक्षण दिखें तो क्या करें?
यदि मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई दें, या आप संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हों, तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें, स्वयं को आइसोलेट करें, मास्क पहनें, और स्वच्छता बनाए रखें।
5. मंकीपॉक्स क्या है, यह कैसे फैलता है?
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक रोग है। मतलब यह जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। इसके अलावा यह इंसान से इंसान में भी फैल सकता है।
6. क्या मंकीपॉक्स से बचाव के लिए टीका उपलब्ध है?
हां, स्मॉलपॉक्स का टीका मंकीपॉक्स के खिलाफ भी सुरक्षा प्रदान करता है। टीकाकरण उन लोगों के लिए बहुत जरूरी है जो उच्च जोखिम में हैं।
7. मंकीपॉक्स से कौन से लोग अधिक प्रभावित हो सकते हैं?
स्वास्थ्यकर्मी, कमजोर इम्यूनिटी वाले बच्चे, ऐसी जगह रहने वाले लोग जहां वायरस वाहक जानवरों के संपर्क की संभावना अधिक होती है।
अपोलो सेज हॉस्पिटल के बारे में
अपोलो सेज हॉस्पिटल एक मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल है और भोपाल से लेकर विश्व स्तर तक के रोगियों और उनके परिवारों द्वारा भरोसेमंद अग्रणी, प्रतिष्ठित और विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं में से एक है। यहां कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, ऑन्कोलॉजी, आर्थोपेडिक्स, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, यूरोलॉजी, लिवर ट्रांसप्लांट, बोन मेरो ट्रांसप्लांटेशन, नेफ्रोलॉजी, गायनोकोलॉजी, ऑप्थेल्मोलॉजी और अन्य सभी चिकित्सकीय विभाग बने हुए हैं। जिसकी सुविधाओं की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। अस्पताल अत्याधुनिक सुविधाओं और तकनीक से लैस है। यहां अत्यधिक योग्य और अनुभवी डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों की एक टीम है ,जो रोगी की चौबीसों घंटे देखभाल करने के तैयार रहते हैं।