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ApolloSage Hospitals EYE FLU SYMPTOMS AND TREATMENT IN HINDI

EYE FLU SYMPTOMS AND TREATMENT IN HINDI

आई फ्लू होने पर इन बातों का रखें ध्यान, जानिए लक्षण और बचाव

आई फ्लू होने पर इन बातों का रखें ध्यान, जानिए लक्षण और बचाव

मानसून का मौसम बहुत खुशनुमा होता है, लेकिन  इस टाइम आपको थोड़ा संभलकर रहने की भी जरूरत है क्योंकि मानसून में होने वाली बीमारियां आपका मजा फीका कर सकती हैं। इस मौसम में होने वाली यह परेशानी एक तरह का वायरल इन्फेक्शन है। बच्चे हों या बूढ़े, पुरुष हो या महिलाएं कोई भी इसकी चपेट में आ सकता है। आइए इस ब्लॉग में जानते हैं कि आई फ्लू क्या है, यह समस्या क्यों होती है ? और आई फ्लू हो जाने पर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? आई फ्लू को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। अधिकांश जगहों पर इसे कंजंक्टिवाइटिस या ‘आंख आना’ कहते हैं, वहीं कुछ जगहों पर लोग इस बीमारी को ‘रेड आई’ या ‘पिंक आई’ कहते हैं। आई फ्लू के अधिकांश मामले ऐडेनोवायरस की वजह से होने वाले वायरल संक्रमण के कारण होते हैं। 

विषयसूचि

  • -आई फ्लू के कारण
  • -आई फ्लू के लक्षण
  • -आई फ्लू से बचाव
  • -डॉक्टर्स से लें सलाह
  • -संबंधित सवाल  

आई फ्लू के कारण

आई फ्लू की समस्या बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा फैलती है। इस मौसम में वातावरण में संक्रमण फैलने की वजह से लोग आई फ्लू का शिकार हो जाते हैं। आमतौर पर आई फ्लू गंदगी, धूल-मिट्टी अदि की वजह से होने वाली एलर्जी की वजह से होती है। इस बीमारी में आंखों के सफेद हिस्से में मौजूद लेयर कंजंक्टिवा में सूजन होती है। बरसात के मौसम में नमी और बैक्टीरिया और वायरस बढ़ जाते हैं और इसकी वजह से आंखों में एलर्जी और इन्फेक्शन हो सकता है। इसके अलावा अगर आप पहले से आई फ्लू से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं, तो इससे भी आपको आई फ्लू होने का खतरा बना रहता है। इससे बचने के लिए आपको आई फ्लू से संक्रमित व्यक्ति से सीधे संपर्क में आने से बचना चाहिए और आंखों को बार-बार छूने से बचना चाहिए।

आई फ्लू के लक्षण 

 

  • 1.आंखों में खुजली या किरकिरापन महसूस होना
  • 2. आंखों से सफेद या पीले रंग का डिस्चार्ज होना
  • 3. आंखों में दर्द होना 
  • 4. सोकर उठने पर आंखों का चिपकना 
  • 5. आंखें लाल होना 
  • 6. पलकों में सूजन 
  • 7. आंखों से चिपचिपा कीचड़ निकलना 

 कुछ मामलों में आपके लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि आप किस वायरस से संक्रमित हुए हैं? उसकी वजह से कुछ लोगों में जुकाम, फ्लू या हल्के बुखार जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं।

आई फ्लू से बचाव

आई फ्लू संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में काफी तेजी से फैलता है। इसके फैलने का सबसे मुख्य कारण है, आंखों से निकलने वाला डिस्चार्ज है। आई फ्लू होने पर तेज खुजली का एहसास होता और कई लोग तो बार-बार आंखों को छूते हैं, जिससे चिपचिपे डिस्चार्ज का हिस्सा उनके हाथों में चिपक जाता है और इस तरह घर या आसपास के बाकी लोगों के बीच भी संक्रमण फैल जाता है। वायरल कंजंक्टिवाइटिस पहले एक आंख से शुरू होता है और कुछ ही दिनों के अंदर दोनों आंखें संक्रमण के चपेट में आ जाती है। आई फ्लू से जुड़ा सबसे बड़ा भ्रम यह है कि  संक्रमित व्यक्ति की आंखों में देखने से भी आई फ्लू फैल सकता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। आई फ्लू देखने से नहीं, बल्कि संक्रमित व्यक्ति की आंख से निकलने वाले डिस्चार्ज के संपर्क में आने से या उनकी पर्सनल चीजों को छूने और  इस्तेमाल करने से फैलता है।

स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के बीच यह समस्या तेजी से फैलती है। स्कूल में बच्चे हाइजीन का उतना ख्याल नहीं रख पाते हैं साथ ही खेलते या खाते समय अक्सर वे एक दूसरे के करीब आ जाते हैं , जिससे संक्रमण के फैलने की गुंजाइश कई गुणा बढ़ जाती है।

इन नियमों का पालन करें और गंभीर संक्रमण से बचें

  • 1. सामान शेयर करने से बचें- अपना तौलिया, आंखों के मेकअप से जुड़े सामान, कॉन्टैक्ट लेंस जैसी व्यक्तिगत चीजों को दूसरों के साथ बिल्कुल शेयर ना करें। यहां तक कि घर में अगर एक से अधिक लोग संक्रमित हैं, तो सबका आई ड्रॉप भी अलग-अलग रखें। अगर आप संक्रमित हैं तो बच्चे से थोड़ी दूरी बनाकर रखें।
  • 2. पब्लिक प्लेस पर जाने से बचें- यदि आप या आपके किसी करीबी को आई फ्लू है, तो इसे और फैलने से रोकने के लिए पब्लिक प्लेस से दूर रहने का प्रयास करें। अधिक से अधिक समय तक घर पर रेस्ट करें और आंखों को आराम दें। इन दिनों टीवी, मोबाइल या लैपटॉप का इस्तेमाल कम से कम करें, क्योंकि इससे आंखों में जलन और भारीपन बढ़ जाता है।
  • 3. पहनें  चश्मा- आई फ्लू होने पर हमेशा चश्मा पहन कर रहें, इससे आपकी आंखें धूल या प्रदूषण से बची रहती हैं साथ ही आप आंखों को बार-बार छूने से बच जाते हैं, जिससे संक्रमण ज्यादा नहीं फैलता।
  • 4. हेल्दी डाइट फॉलो करें- संक्रमित होने के दौरान अपनी डाइट का विशेष ध्यान रखेंं। इन दिनों पौष्टिक चीजें खाएं, जिससे आपकी इम्यूनिटी और मजबूत हो और आप जल्दी ठीक हो सकें।
  • 5. आई-मेकअप करने से बचें- आई फ्लू होने पर आंखों में किसी भी तरह का मेकअप जैसे आई-लाइनर, मस्कारा आदि बिल्कुल ना लगाएं। इन चीजों में मौजूद केमिकल आपकी समस्या को बढ़ा सकते हैं।
  • 6. ऑफिस या स्कूल ना जाएं- अगर बच्चे को आई फ्लू हो गया है, तो कुछ दिनों तक बच्चे को स्कूल ना भेजें। इसी तरह बड़े लोग भी संक्रमित होने पर कुछ दिनों तक ऑफिस जाने से बचें।
  • 7. साफ रखें हाथ- दिन में कई बार अपने हाथों को कम से कम 20 सेकंड तक साबुन से धोएं। समय-समय पर पास रखे सैनिटाइजर की मदद से हाथों को साफ करें। आंखों को साफ करने और आई ड्रॉप डालने के पहले और बाद में हाथों को जरूर धोए।
  • 8. ना छूएं आंख- आई फ्लू होने पर आंखों में तेज खुजली होने लगती है, जिससे आपका हाथ बार-बार आंखों पर जाता है। ऐसा बिल्कुल ना करें, क्योंकि आंखों को बार-बार छूने या रगड़ने से दूसरी आंख में संक्रमण फैलने की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है।
  • 9. अच्छी नींद लें- आई फ्लू से पीड़ित व्यक्ति को पूरी तरह से आराम करना चाहिए, ताकि उसका शरीर वायरस से तेजी से लड़ सके और संक्रमण से निजात पा सके।
  • 10. गरम पानी का कंप्रेस्स: गरम पानी के कंप्रेस्स आंखों को सुखा सकते हैं और आराम देने का काम करते हैं। ध्यान रहे, कि इसे साफ पानी के साथ किया जाए ताकि संक्रमण का खतरा कम हो जाए।
  • 11. करें आंखों की बारीक सफाई-   संक्रमण के दौरान आंखों को साफ करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए आप बेबी शैम्पू का उपयोग कर सकते हैं।
  • 12.  डॉक्टर कंसल्टेशन-   डॉक्टर की सलाह पर आप आंखों के इंफेक्शन के लिए दवाएं ले सकते हैं। जिसमें अलग-अलग आई ड्रॉप्स और ऑइंटमेंट्स को शामिल किया जा सकता है।


डॉक्टर्स से लें सलाह

ब्लॉग में  ऊपर बताए गए उपायों को अपनाने के बाद भी अगर राहत ना मिले साथ ही सूजन और परेशानी बढ़ती चली जाए तो बिना देर किए डॉक्टर से कंसल्ट करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि, बिना डॉक्टर से सलाह लिए सीधे मेडिकल स्टोर से जाकर कोई आई ड्रॉप ना खरीदें। Dr. Siddharth Malaiya ophthalmologist एक्सपर्ट के अनुसार, आंखों के इंफेक्शन में लापरवाही बरतने से कॉर्निया भी संक्रमित हो सकती है। कुछ मामलों में आंखों में इंफेक्शन  किसी और वजह से हुआ होता है और लोग आई फ्लू समझकर इलाज में देरी कर देते हैं। ऐसा करने से आंखों को अधिक नुकसान पहुंच सकता है, इसलिए अगर आंखों में लालिमा और सूजन दो तीन दिन बाद भी बढ़ती जाए, तो आई एक्सपर्ट के पास जाकर जांच कराएं। छोटे बच्चों के मामले में कभी भी खुद से इलाज करने की कोशिश ना करें, ना ही बिना डॉक्टर से मिले कोई आई ड्रॉप डालें।

संबंधित सवाल

1.क्या आई फ्लू का इलाज घर पर किया जा सकता है?
घर पर, आप आराम कर सकते हैं, गरम पानी से गरारा कर सकते हैं, और अच्छी डाइट ले  सकते हैं। लेकिन, गंभीर मामलों में डॉक्टर से सलाह लेना सुरक्षित होता है।

2.आई फ्लू को जल्दी ठीक कैसे करें?

आपको पूरे आराम की जरूरत होती है, पर्याप्त पानी पीनी चाहिए, और डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

3.क्या आई फ्लू दोबारा हो सकता है?

हां, आई फ्लू दोबारा हो सकता है, खासकर जब वायरस म्यूटेट होता है।

4. क्या आई फ्लू में ठंडे पानी से आंखें धो सकते हैं?

हां, ठंडे पानी से आंखें धोना आई फ्लू इंफेक्शन के दौरान मददगार होता है, लेकिन ध्यान रहें कि यह आपके लक्षणों को कम नहीं करेगा। डॉक्टर से परामर्श करना हमेशा उचित है।

5. आई फ्लू कितने समय तक रहता है?

आई फ्लू का सामान्यत:  7-10 दिनों तक रहते हैं, लेकिन कुछ लोगों में यह अधिक समय तक बना रह सकता है।

6. क्या आई फ्लू फैलता है?

आई फ्लू वायरस एयरबोर्न होता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हवा के माध्यम से फैलता है।

7. आई फ्लू का कारण क्या है?

आई फ्लू का कारण वायरस होता है, जो आमतौर पर इंफ्लुएंजा वायरस से होता है।

निष्कर्ष

डॉक्टर्स के द्वारा बताई गईं दवाएं और ट्रीटमेंट्स आई फ्लू के दौरान सबसे ज्यादा जरूरी है। घर पर आराम करने के साथ-साथ 2 , 3 दिनों के बाद भी आंखों की समस्या से निजात ना मिले तो ऐसे में नेत्र संबंधी सभी बीमारी के संबंध में किसी भी चिकित्सकीय परामर्श के लिए, आप मध्य प्रदेश के सबसे अच्छे स्वास्थ्य केंद्र अपोलो सेज अस्पताल के, भोपाल के ऑप्थेल्मोलॉजी विभाग में संपर्क कर जांच करवा सकते हैं। यहां हर चिकित्सकीय सुविधा उचित दर पर उपलब्ध है।

अपोलो सेज हॉस्पिटल के बारे में 

अपोलो सेज हॉस्पिटल एक मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल है और भोपाल से लेकर विश्व स्तर तक के रोगियों और उनके परिवारों द्वारा भरोसेमंद अग्रणी, प्रतिष्ठित और विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं में से एक है। यहां कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, ऑन्कोलॉजी, आर्थोपेडिक्स, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, यूरोलॉजी, लिवर ट्रांसप्लांट, बोन मेरो  ट्रांसप्लांटेशन, नेफ्रोलॉजी, गायनोकोलॉजी, ऑप्थेल्मोलॉजी और अन्य सभी चिकित्सकीय विभाग बने हुए हैं। जिसकी सुविधाओं की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। अस्पताल अत्याधुनिक सुविधाओं और तकनीक से लैस है। यहां अत्यधिक योग्य और अनुभवी डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों की एक टीम है जो रोगी की चौबीसों घंटे देखभाल करने के तैयार रहते हैं।

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