BRAIN STROKE STATE OF THE ART TREATMENT TECHNIQUES AND THE IMPORTANCE OF TIME
ब्रेन स्ट्रोक: अत्याधुनिक इलाज की तकनीकें और समय का महत्व
ब्रेन स्ट्रोक एक गंभीर मेडिकल इमरजेंसी है, जिसमें मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त का प्रवाह अचानक रुक जाता है या कम हो जाता है। यह स्थिति मस्तिष्क की कोशिकाओं को आवश्यक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी के कारण कुछ ही मिनटों में गंभीर क्षति पहुंचाती है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह स्थायी मस्तिष्क क्षति, दीर्घकालिक विकलांगता या मृत्यु का कारण बन सकता है। स्ट्रोक के शुरुआती 2-4 घंटे, जिन्हें 'Golden Period' कहा जाता है, मरीज के जीवन के लिए अत्यधिक निर्णायक होते हैं। इस दौरान किया गया इलाज मस्तिष्क को क्षति से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
स्ट्रोक क्या है?
स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त प्रवाह कम हो जाता है या रुक जाता है। इस स्थिति में मस्तिष्क की कोशिकाओं को रक्त से आवश्यक ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं, जिससे वे मरने लगती हैं। मस्तिष्क की यह क्षति बहुत जल्दी होती है और इसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क के कार्य प्रभावित होते हैं। अगर तुरंत इलाज न किया जाए, तो इससे मरीज की स्थिति गंभीर हो सकती है, जिससे दीर्घकालिक विकलांगता या मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
स्ट्रोक के प्रकार
स्ट्रोक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:
- इस्केमिक स्ट्रोक: यह स्ट्रोक का सबसे सामान्य प्रकार है, जिसमें मस्तिष्क की रक्त वाहिका में रक्त का थक्का बनने से रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है। यह स्थिति मस्तिष्क के एक हिस्से को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से वंचित करती है, जिससे उस हिस्से की कोशिकाएं मरने लगती हैं। इस्केमिक स्ट्रोक लगभग 70% मामलों में पाया जाता है।
- रक्तस्रावी स्ट्रोक: इस प्रकार के स्ट्रोक में मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है, जिससे मस्तिष्क में रक्तस्राव होता है। यह स्थिति मस्तिष्क के ऊतकों को नुकसान पहुंचाती है और मस्तिष्क के भीतर दबाव बढ़ाती है, जिससे गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
स्ट्रोक के लक्षण
स्ट्रोक के लक्षण अचानक और गंभीर होते हैं। इनमें शामिल हैं:
- चेहरे, हाथ या पैर में अचानक सुजता या कमजोरी (विशेषकर शरीर के एक तरफ)
- अचानक भ्रमित होना, बोलने में परेशानी, या भाषण समझने में कठिनाई
- एक या दोनों आंखों से देखने में अचानक परेशानी होना
- चलने में अचानक कठिनाई, चक्कर आना, संतुलन या समन्वय की हानि
- बिना किसी ज्ञात कारण के अचानक गंभीर सिरदर्द
इन लक्षणों के प्रकट होते ही मरीज को तुरंत चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है, क्योंकि समय पर इलाज से मस्तिष्क को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
उपचार की नई तकनीकें: थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी और मैकेनिकल थ्रोम्बैक्टॉमी
हाल ही में, ब्रेन स्ट्रोक के इलाज के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का विकास हुआ है, जिससे मरीजों का इलाज अब अधिक प्रभावी तरीके से और जल्दी किया जा सकता है।
- थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी: इस उपचार में दवाओं का उपयोग करके रक्त के थक्कों को घोलने का प्रयास किया जाता है। इसे गोल्डन पीरियड के दौरान देने से मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को पुनः स्थापित किया जा सकता है, जिससे मस्तिष्क के ऊतकों को अधिक क्षति से बचाया जा सकता है।
- मैकेनिकल थ्रोम्बैक्टॉमी: यह एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें विशेष उपकरणों की सहायता से मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं से थक्कों को हटाया जाता है। इस प्रक्रिया में, डॉक्टर मस्तिष्क की प्रभावित रक्त वाहिका में एक कैथेटर डालते हैं और थक्के को हटाकर रक्त प्रवाह को पुनः स्थापित करते हैं। यह उपचार उन मरीजों के लिए प्रभावी होता है, जिनमें दवाओं से थक्का नहीं घुलता या दवाओं का उपयोग नहीं किया जा सकता।
अपोलो सेज हॉस्पिटल्स में उन्नत उपचार
अब, अपोलो सेज हॉस्पिटल्स में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों के लिए यह अत्याधुनिक उपचार तकनीकें उपलब्ध हैं। यह अस्पताल तेजी से कार्य करने वाली चिकित्सा टीम और उन्नत तकनीकी उपकरणों से लैस है, जिससे ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों का इलाज समय पर और कुशलता से किया जा सकता है। गोल्डन पीरियड के दौरान सही इलाज मिलने से मरीज के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर किया जा सकता है और दीर्घकालिक विकलांगता के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
इस प्रकार, स्ट्रोक की पहचान और समय पर उपचार मरीज के जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं। अगर आप या आपके परिवार का कोई सदस्य स्ट्रोक के लक्षणों का अनुभव करता है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें। अपोलो सेज हॉस्पिटल्स में उपलब्ध उन्नत तकनीक और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम आपके और आपके प्रियजनों के लिए हमेशा तत्पर है।
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