
BRAIN STROKE ITS TYPES CAUSES SYMPTOMS PREVENTION AND TREATMENT
ब्रेन स्ट्रोक: प्रकार, कारण, लक्षण, रोकथाम और उपचार

ब्रेन स्ट्रोक एक गंभीर मेडिकल स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क को पर्याप्त रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती है, जिससे मस्तिष्क के हिस्से को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इसके कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं। ब्रेन स्ट्रोक को रोकने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और धूम्रपान तथा शराब से बचना महत्वपूर्ण है। समय पर भोपाल में अपोलो सेज हॉस्पिटल से चिकित्सकीय सहायता लेना भी बेहद जरूरी है, क्योंकि स्ट्रोक के शुरुआती घंटों में उपचार की सफलता की संभावना अधिक होती है।
Table Content
- ब्रेन स्ट्रोक क्या है? (What is Brain Stroke?)
- ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण (Symptoms of Brain Stroke)
- ब्रेन स्ट्रोक के प्रकार(Types of Brain Stroke)
- ब्रेन स्ट्रोक के कारण (Causes of Brain Stroke)
- हर साल 1.5 करोड़ से अधिक लोग होते हैं स्ट्रोक का शिकार
- ब्रेन स्ट्रोक से बचाव (Prevention from Brain Stroke)
- ब्रेन स्ट्रोक का इलाज (Treatment of Brain Stroke )
- निष्कर्ष (Conclusion)
- समस्या से संबंधित सवाल-जवाब (problem related question-answer)
ब्रेन स्ट्रोक क्या है? (What is Brain Stroke?)
ब्रेन स्ट्रोक, जिसे मस्तिष्क आघात भी कहा जाता है, एक चिकित्सा आपातकालीन स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है। इस रुकावट के कारण उस हिस्से में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं। स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क के प्रभावित हिस्से के अनुसार विभिन्न शारीरिक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि बोलने, चलने, देखने या सोचने में कठिनाई। ब्रेन स्ट्रोक के कारण तेजी से और सही उपचार न मिलने पर गंभीर और स्थायी नुकसान हो सकता है, जिसमें शारीरिक विकलांगता, याददाश्त की कमी, या यहां तक कि मृत्यु भी शामिल हो सकती है। इसीलिए, ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों (Symptoms of brain stroke) की पहचान कर तुरंत चिकित्सा सहायता लेना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। ब्रेन स्ट्रोक का उपचार उसकी प्रकृति पर निर्भर करता है। इस्केमिक स्ट्रोक में रक्त का थक्का तोड़ने वाली दवाओं का उपयोग किया जाता है, जबकि हेमोरेजिक स्ट्रोक में रक्तस्राव को नियंत्रित करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण (Symptoms of Brain Stroke)
- चेहरे, हाथ या पैर में अचानक कमजोरी या सुन्नता: विशेष रूप से शरीर के एक तरफ। उदाहरण के लिए, अचानक एक हाथ या पैर को उठाने में कठिनाई होना।
- बोलने या समझने में कठिनाई: व्यक्ति अचानक बोलने में असमर्थ हो सकता है, उसकी बोली अस्पष्ट हो सकती है, या वह दूसरों की बातों को समझ नहीं पा सकता।
- दृष्टि में समस्या: एक या दोनों आंखों से अचानक दृष्टि खोना, धुंधला दिखना, या डबल दिखना।
- चलने में कठिनाई: अचानक संतुलन खोना, चक्कर आना, या समन्वय में समस्या होना। व्यक्ति अचानक गिर सकता है या चलते समय अस्थिर महसूस कर सकता है।
- सिरदर्द: बिना किसी स्पष्ट कारण के अचानक और बहुत तीव्र सिरदर्द होना, खासकर अगर यह सिरदर्द अन्य लक्षणों के साथ हो।
- भ्रम या चेतना में बदलाव: अचानक मानसिक स्थिति में बदलाव आ सकता है, जैसे कि भ्रमित हो जाना, निर्णय लेने में कठिनाई, या चेतना खो देना।
ब्रेन स्ट्रोक के प्रकार (Types of Brain Stroke)
इस्केमिक स्ट्रोक :
यह सबसे आम प्रकार का स्ट्रोक है, जो सभी स्ट्रोक्स का लगभग 80% होता है। इस्केमिक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क की किसी रक्त वाहिका में थक्का जम जाता है या जब कोई अवरोध उत्पन्न हो जाता है, जिससे मस्तिष्क के एक हिस्से में रक्त का प्रवाह रुक जाता है। इस अवरोध के कारण उस हिस्से में ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं पहुंच पाते, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं।
इसके दो मुख्य उप-प्रकार हैं:
- थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक: यह तब होता है जब मस्तिष्क की किसी रक्त वाहिका में थक्का जम जाता है, जो उस स्थान पर बनता है।
- एम्बोलिक स्ट्रोक: यह तब होता है जब रक्त का थक्का शरीर के किसी अन्य हिस्से (जैसे हृदय) से यात्रा करता है और मस्तिष्क की किसी रक्त वाहिका में जाकर रुक जाता है।
हेमोरेजिक स्ट्रोक : हेमोरेजिक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क में या उसके आस-पास की किसी रक्त वाहिका से रक्तस्राव हो जाता है। इस रक्तस्राव के कारण मस्तिष्क के ऊतकों में दबाव बढ़ जाता है, जिससे कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। हेमोरेजिक स्ट्रोक के मुख्य कारणों में उच्च रक्तचाप, रक्त वाहिकाओं की कमजोरी, और अवैध नशीली दवाओं का सेवन शामिल है।
इसके दो उप-प्रकार हैं:
- इंट्रासेरेब्रल हेमोरेज: यह तब होता है जब मस्तिष्क के अंदर की रक्त वाहिका फट जाती है और रक्त मस्तिष्क के ऊतकों में प्रवेश कर जाता है।
- सबएराक्नॉइड हेमोरेज : यह तब होता है जब मस्तिष्क और उसकी बाहरी परत के बीच के स्थान में रक्तस्राव होता है, आमतौर पर किसी फटे हुए एन्यूरिज़्म (रक्त वाहिका में गुब्बारे जैसी सूजन) के कारण।
क्षणिक इस्कैमिक दौरा (टीआईए) :
टीआईए को "मिनी स्ट्रोक" भी कहा जाता है। यह अस्थायी रूप से इस्केमिक स्ट्रोक की तरह होता है, जिसमें मस्तिष्क की किसी हिस्से में रक्त का प्रवाह थोड़े समय के लिए बाधित हो जाता है। टीआईए के लक्षण स्ट्रोक जैसे होते हैं, लेकिन वे कुछ मिनटों या घंटों में ठीक हो जाते हैं। हालांकि यह अस्थायी होता है, फिर भी यह एक चेतावनी संकेत है कि भविष्य में अधिक गंभीर स्ट्रोक का खतरा हो सकता है, इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
ब्रेन स्ट्रोक के कारण (Causes of Brain Stroke)
- उच्च रक्तचाप : उच्च रक्तचाप ब्रेन स्ट्रोक का सबसे बड़ा जोखिम कारक है। उच्च रक्तचाप से मस्तिष्क की रक्त वाहिकाएं कमजोर हो जाती हैं, जिससे इस्केमिक और हेमोरेजिक स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
- धूम्रपान : धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को संकुचित करता है और रक्त में थक्के बनने की प्रवृत्ति को बढ़ाता है। यह इस्केमिक स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाता है और रक्तचाप को बढ़ाकर हेमोरेजिक स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ा सकता है।
- मधुमेह : मधुमेह से रक्त वाहिकाओं में परिवर्तन होते हैं, जिससे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह की समस्याएं हो सकती हैं। मधुमेह वाले व्यक्तियों में इस्केमिक स्ट्रोक का जोखिम अधिक होता है।
- उच्च कोलेस्ट्रॉल : उच्च कोलेस्ट्रॉल के कारण रक्त वाहिकाओं में प्लाक (चर्बी के जमा) का निर्माण होता है, जो रक्त प्रवाह को बाधित करता है और इस्केमिक स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
- हृदय रोग : हृदय रोग, विशेषकर एट्रियल फाइब्रिलेशन जैसे अनियमित हृदय गति, रक्त के थक्के बनने का जोखिम बढ़ाते हैं, जो मस्तिष्क में जाकर इस्केमिक स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं।
- मोटापा : अत्यधिक वजन स्ट्रोक के अन्य जोखिम कारकों जैसे कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्रॉल के विकास में योगदान देता है।
- शराब का अत्यधिक सेवन : शराब का अत्यधिक सेवन रक्तचाप बढ़ा सकता है और रक्त वाहिकाओं को कमजोर कर सकता है, जिससे हेमोरेजिक स्ट्रोक का जोखिम बढ़ता है।
- अस्वास्थ्यकर आहार : संतृप्त वसा, नमक, और चीनी से भरपूर आहार उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, और मोटापे का कारण बन सकता है, जो स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाते हैं।
- शारीरिक निष्क्रियता : नियमित व्यायाम न करने से उच्च रक्तचाप, मोटापा, और मधुमेह जैसी स्थितियों का विकास हो सकता है, जो स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाते हैं।
- अनुवांशिक कारक : यदि किसी व्यक्ति के परिवार में स्ट्रोक का इतिहास है, तो उसका जोखिम बढ़ सकता है। कुछ अनुवांशिक स्थितियाँ, जैसे कि रक्त वाहिकाओं की कमजोरी, स्ट्रोक का कारण बन सकती हैं।
- उम्र : उम्र बढ़ने के साथ स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है, विशेष रूप से 55 साल से अधिक उम्र के लोगों में।
- मानसिक तनाव : लगातार मानसिक तनाव रक्तचाप को बढ़ा सकता है और हृदय रोगों का कारण बन सकता है, जो स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाता है।
हर साल 1.5 करोड़ से अधिक लोग होते हैं स्ट्रोक का शिकार
दुनियाभर में जिन स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हर साल सबसे ज्यादा लोगों की मौत होती है, हार्ट अटैक और स्ट्रोक उसमें प्रमुख हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ब्रेन स्ट्रोक के मामले साल-दर-साल बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार हर साल विश्वभर में 15 मिलियन (1.5 करोड़) लोग स्ट्रोक से पीड़ित होते हैं, इनमें से करीब 5 मिलियन (50 लाख) लोगों की मृत्यु हो जाती है।
इतना ही नहीं स्ट्रोक के बाद जिंदा बचने वाले करीब 50 लाख लोग स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं। कई मायनों में स्ट्रोक गंभीर स्वास्थ्य संकट है, जिसको लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, स्ट्रोक के बढ़ते जोखिमों के लिए कई कारणों को जिम्मेदार माना जा रहा है, लाइफस्टाइल और आहार की गड़बड़ी इसका प्रमुख वजह हो सकती है। वैसे तो 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों में स्ट्रोक होना असामान्य माना जाता है हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इस आयु वर्ग में भी ये समस्या तेजी से बढ़ी है। इसमें से ज्यादातर लोगों को हाई ब्लड प्रेशर का शिकार पाया गया। विशेषज्ञ कहते हैं, यदि स्ट्रोक के लक्षणों की समय पर पहचान होकर इसका इलाज हो जाए तो न सिर्फ रोगी की जान बच सकती है, साथ ही स्ट्रोक के कारण होने वाली अन्य जटिलताओं को भी कम किया जा सकता है।
ब्रेन स्ट्रोक से बचाव (Prevention of Brain Stroke)
- स्वस्थ आहार : फल और सब्जियां खाएं। ये एंटीऑक्सिडेंट, फाइबर, और आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो हृदय और रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं। संतृप्त वसा और ट्रांस फैट कम करें। ये कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकते हैं, जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। नमक का सेवन सीमित करें। उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए नमक की मात्रा कम करना आवश्यक है।
- नियमित व्यायाम : सप्ताह में कम से कम 150 मिनट की एरोबिक गतिविधि, जैसे तेज चलना, दौड़ना, या साइकिल चलाना, स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकता है। व्यायाम से वजन नियंत्रण, रक्तचाप, और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार होता है।
- धूम्रपान छोड़ें : धूम्रपान स्ट्रोक का प्रमुख जोखिम कारक है। इसे छोड़ने से रक्तचाप में सुधार होता है, रक्त वाहिकाओं की सेहत बेहतर होती है, और स्ट्रोक का खतरा कम हो जाता है।
- शराब का सेवन सीमित करें : शराब का अत्यधिक सेवन उच्च रक्तचाप और हेमोरेजिक स्ट्रोक का खतरा बढ़ाता है। यदि आप शराब का सेवन करते हैं, तो इसे सीमित मात्रा में करें।
- रक्तचाप की निगरानी : नियमित रूप से रक्तचाप की जांच करें। उच्च रक्तचाप का प्रबंधन दवाओं और जीवनशैली में बदलावों के माध्यम से करें, क्योंकि यह स्ट्रोक का सबसे बड़ा जोखिम कारक है।
- मधुमेह का प्रबंधन : मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और दवाओं का पालन करें। उच्च रक्त शर्करा स्तर मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।
- कोलेस्ट्रॉल का प्रबंधन : नियमित रूप से कोलेस्ट्रॉल की जांच करें और इसे नियंत्रित करने के लिए दवाएं और आहार में बदलाव अपनाएं। कम कोलेस्ट्रॉल का स्तर रक्त वाहिकाओं में प्लाक बनने से रोकता है।
- वजन नियंत्रण : स्वस्थ वजन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। मोटापे से उच्च रक्तचाप, मधुमेह, और हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है, जो स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाते हैं।
- तनाव का प्रबंधन : योग, ध्यान, और अन्य तनाव-नियंत्रण तकनीकों का अभ्यास करें। तनाव और चिंता से उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है।
- अत्यधिक नींद न लें : नींद की कमी या खराब नींद की गुणवत्ता रक्तचाप को बढ़ा सकती है। सुनिश्चित करें कि आप हर रात 7-8 घंटे की पर्याप्त नींद लें।
- नियमित स्वास्थ्य जांच : हृदय रोग, मधुमेह, और उच्च रक्तचाप के लिए नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराएं। समय पर इलाज और प्रबंधन से स्ट्रोक का खतरा कम हो सकता है।
- मिनी स्ट्रोक (TIA) के लक्षणों को नजरअंदाज न करें : अगर आपको टीआईए यानी की क्षणिक इस्कैमिक दौरा के लक्षण महसूस होते हैं, तो इसे गंभीरता से लें और तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। टीआईए भविष्य में होने वाले स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।
ब्रेन स्ट्रोक का इलाज (Treatment of Brain Stroke)
इस्केमिक स्ट्रोक (Ischemic Stroke) का इलाज
- इस्केमिक स्ट्रोक का इलाज तब होता है जब मस्तिष्क की किसी रक्त वाहिका में थक्का जम जाता है, जिससे रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है। इसका उपचार थक्के को हटाने या उसे घुलाने पर केंद्रित होता है। थ्रॉम्बोलिटिक दवाएं या टीपीए ऊतक प्लाज्मिनोजन सक्रियक दवा दी जाती है। यह रक्त के थक्के को घोलने में मदद करती है। इसे स्ट्रोक के लक्षण शुरू होने के 4.5 घंटे के अंदर दिया जाना चाहिए। यह इस्केमिक स्ट्रोक के लिए सबसे प्रभावी उपचार है।
- मेकैनिकल थ्रॉम्बेक्टॉमी-एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक कैथेटर के माध्यम से रक्त के थक्के को मस्तिष्क की रक्त वाहिका से निकाला जाता है। इसे उन मरीजों के लिए उपयोग किया जाता है, जिनके पास बड़े थक्के होते हैं और जिन्हें टीपीए से फायदा नहीं होता। एंटिप्लेटलेट और एंटीकोएगुलेंट दवाएं यानी स्पिरिन इसे अक्सर स्ट्रोक वारफारिन दवाएं रक्त को पतला करती हैं और रक्त के थक्के बनने के जोखिम को कम करती हैं। स्ट्रोक के बाद उचित उपचार के साथ, ब्रेन स्ट्रोक रिकवरी की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिसमें दवाओं के साथ-साथ पुनर्वास और जीवनशैली में सुधार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं: स्टैटिन्स दवाएं कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करती हैं और भविष्य में स्ट्रोक के जोखिम को भी कम करती हैं।
हेमोरेजिक स्ट्रोक का इलाज
हेमोरेजिक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क की रक्त वाहिका फट जाती है, जिससे मस्तिष्क में रक्तस्राव होता है। इसका उपचार रक्तस्राव को नियंत्रित करने और मस्तिष्क के दबाव को कम करने पर केंद्रित होता है।
- मेडिकल मैनेजमेंट : उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं, ताकि आगे रक्तस्राव को रोका जा सके। एंटीकोएगुलेंट्स और एंटिप्लेटलेट्स का रिवर्सल यदि मरीज एंटीकोएगुलेंट्स (जैसे वारफारिन) पर हैं, तो उनके प्रभाव को उलटने के लिए दवाएं दी जाती हैं।
- सर्जरी : क्लिपिंग और कोइलिंग यदि एन्यूरिज्म (रक्त वाहिका में सूजन) के कारण स्ट्रोक हुआ है, तो इसे क्लिपिंग या कोइलिंग प्रक्रिया के माध्यम से बंद किया जा सकता है, ताकि आगे रक्तस्राव रोका जा सके। क्रेनियोटॉमी गंभीर मामलों में, मस्तिष्क से रक्त और दबाव को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है।
- पुनर्वास : स्ट्रोक के बाद मरीज को पुनर्वास की आवश्यकता हो सकती है, ताकि वह अपनी खोई हुई क्षमताओं को पुनः प्राप्त कर सके। इसमें फिजिकल थेरेपी यानी शारीरिक ताकत और संतुलन को पुनः प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही ऑक्यूपेशनल थेरेपी यानी रोजमर्रा के कार्यों को करने की क्षमता में सुधार के लिए। स्पीच थेरेपी यानी बोलने और भाषा की समस्याओं को दूर करने के लिए। पेशेंट एजुकेशन और काउंसलिंग यानी मरीज और उनके परिवार को स्ट्रोक के बारे में जानकारी देना और उनकी देखभाल में सहायता करना शामिल है।
- जीवनशैली में बदलाव और प्रबंधन : स्वस्थ आहार यानी उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, और मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए बहुत जरूरी है। धूम्रपान और शराब से परहेज यानी स्ट्रोक के जोखिम से बचने का सबसे पहला उपाय। नियमित व्यायाम और वजन नियंत्रण यानी हृदय और रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए लाइफ स्टाइल में बदलाव और मैनेजमेंट बहुत आवश्यक है।
निष्कर्ष (Conclusion)
ब्रेन स्ट्रोक एक गंभीर स्थिति है, जो तब होती है जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है या मस्तिष्क में रक्तस्राव हो जाता है। यह स्थिति मस्तिष्क के टीशू को नुकसान पहुंचा सकती है और इसका असर शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ सकता है, जिससे जीवन के लिए खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो सकती है। ब्रेन स्ट्रोक का इलाज (treatment of brain stroke) जितनी जल्दी हो सके, उतना ही बेहतर होता है। ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों, जैसे अचानक कमजोरी, बोलने में कठिनाई, धुंधली दृष्टि, या चेहरे, हाथ, या पैर में सुन्नता को पहचानना आवश्यक है। इन लक्षणों की पहचान करके तुरंत भोपाल के अपोलो सेज के अच्छे चिकित्सक विशेषज्ञों से सहायता प्राप्त करें।
समस्या से संबंधित सवाल (Problem Related Solutions)
1.ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं ?
ब्रेन स्ट्रोक के मुख्य लक्षणों में चेहरे, हाथ या पैर में अचानक कमजोरी या सुन्नता, बोलने में कठिनाई, धुंधली दृष्टि, अचानक भ्रम, चलने में कठिनाई, चक्कर आना, और गंभीर सिरदर्द शामिल हैं।
2. ब्रेन स्ट्रोक क्या है ?
ब्रेन स्ट्रोक एक चिकित्सा आपात स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क में रक्त प्रवाह में रुकावट आ जाती है या मस्तिष्क में रक्तस्राव हो जाता है। इससे मस्तिष्क के ऊतक को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं।
3. ब्रेन स्ट्रोक के कारण क्या हैं ?
ब्रेन स्ट्रोक के प्रमुख कारणों में उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग, मोटापा, और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली शामिल हैं।
4. ब्रेन स्ट्रोक का इलाज कैसे किया जाता है ?
इस्केमिक स्ट्रोक का इलाज थ्रॉम्बोलिटिक दवाओं जैसे टीपीए से किया जाता है जो रक्त के थक्के को घोलती हैं, जबकि हेमोरेजिक स्ट्रोक का इलाज सर्जरी से किया जा सकता है ताकि इससे रक्तस्राव को रोका जा सके। समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है।
5. ब्रेन स्ट्रोक के जोखिम को कैसे कम किया जा सकता है ?
स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर, जैसे कि संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, धूम्रपान से बचाव, शराब का सीमित सेवन, और रक्तचाप व कोलेस्ट्रॉल का नियंत्रण, ब्रेन स्ट्रोक के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
6. ब्रेन स्ट्रोक के बाद मरीज को क्या करना चाहिए ?
ब्रेन स्ट्रोक के बाद, मरीज को पुनर्वास की आवश्यकता हो सकती है, जिसमें फिजिकल थेरेपी, स्पीच थेरेपी, और मानसिक स्वास्थ्य समर्थन शामिल हो सकता है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि, मरीज नियमित चिकित्सा जांच और फॉलो-अप के लिए डॉक्टर से संपर्क में रहे।
7. अगर किसी व्यक्ति को स्ट्रोक हो रहा है, तो क्या करें ?
यदि आपको संदेह है कि किसी को स्ट्रोक हो रहा है, तो तुरंत एम्बुलेंस को कॉल करें और उन्हें जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाएं। समय पर इलाज से मस्तिष्क को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
8.क्या स्ट्रोक के बाद व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है ?
कई मरीज स्ट्रोक के बाद सामान्य जीवन जी सकते हैं, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि, स्ट्रोक कितना गंभीर था और कितना जल्दी उपचार मिला। रिहैबिलेशन कार्यक्रम और जीवनशैली में बदलाव से सुधार संभव है।